21 फरवरी
2012 मातृ भाषा दिवस पर विशेष प्रस्तुति
सगळा राजस्थानी
भाई-बहनां खातर …
धोरां री धरती रौ काळजियो कुरळावै रे
घर-धणियाणी
बांदी
ज्यूं
क्यूं
जूण
गुमावै
रे ?
सुणै न
घर
वाळा
दुख
किण
नैं
जाय’ सुणावै रे ?
धोरां री
धरती
रौ
काळजियो
कुरळावै
रे !
जायोड़ां नैं
मुरधर-माटी आज बुलावै
रे !!
थकां सपूतां
मा
रोवै
तो
फाटैलो
असमान
!
मा रा
आंसू
नीं
पूंछै
बेटा
बै
मर्’ये समान !
मात भोम
भाषा
खातर
कुण
आगै
आवै
रे ?
माण बधावै
, फरज
निभावै
, धीर
बंधावै
रे !!
याद बडेरां
री
कीरत
करयां’ सिर
ऊंचो
होवै
!
रंग कसूंबल-केशरिया सगळां रौ
मनड़ो
मोवै
!
माटी रै
कण-कण सूं जौहर
री
झळ
आवै
रे !
मरजा ! मती
गुलामी
कर ! …इतिहास सिखावै रे !!
माटी भाषा
एक
आपणी
, के
थां’रौ के म्हांरौ
?
इण घर
रा
जायोड़ां
! मन
सूं
बैर-विरोध बिसारो !
सिंघ लड़ै
तो
बठै
गादड़ा
मौज
मनावै
रे !
हक आपां’रौ लूंट-खोस’ आ
दुनिया
खावै
रे !!
सब मूंडां
नैं
भाषा
मिळगी , आपां गूंगा तरसांला ?
भावी पीढ़्यां
नैं
रजथानी
शरमां
मरता
अरपांला
?
घणी सबूरी
, धीरज
आतमघात
कहावै
रे !
बदळो राज
- विधान ; घात री बदबू
आवै
रे !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright
by : Rajendra Swarnkar
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मेरे द्वारा लिखा गया
यह गीत मेरी बनाई धुन में मेरे स्वर में
©copyright by : Rajendra Swarnkar
©copyright by : Rajendra Swarnkar
8 टिप्पणियां:
राजेंदेरजी आपरो ब्लॉग घनो घनो शांतरो लाग्यो सा
राजेंदरजी आपरो ब्लॉग घनो घनो शांतरो लाग्यो सा
ak chokhi rachna BADHAIE HO THANE
AAPERI RACNA CHOKHI LAGI
BADHAIE HO THANE
sunder ati sunder rachna hai
राजेंद्रजी .....घणी-घणी बधाईयां....भोत ही असरदार गीत है ...आपरी आवाज में तो यो श्यास्वत गीत होग्यो...
सुर-सबद बल्ले बल्ले !
झाम्पो काम है भाई राजेन्द्र जी थारो !
मोकळी-मोकळी बधाई !
Bhot Sovani Rachna....
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