थांरौ साथो घणो सुहावै सा…

31.10.12

नमो नमो सरकार बापजी

 
 
सरकार बापजी
(चित्र गूगल से साभार)
नमो नमो सरकार बापजी
घणो घणो उपकार बापजी 
 
जीवणद्यो का मारो म्हांनैं
थांनैं स्सौ इधकार बापजी
 
जका जितावै थांनैं ; थे बां-
स्यूं ई काढो खार बापजी
 
सालूं-साल बजट ल्यावो अर
म्हां पर मार-कु-मार बापजी
 
 थांरा पूत कमाऊ , थां घर
अन-धन रा भंडार बापजी 
 
म्हांरै आटै लूण बळीतै
पर क्यूं घालो भार बापजी 
 
पाणी बिजळी गैसकितां मिस
थे छाती असवार बापजी
 
गोजा म्हांरा यूं पकड़ो ज्यूं
धरग्या थे ई कमार बापजी
 
थे मोठां री छींयां मुळको
म्हांरै सिर तलवार बापजी
 
नेम-कायदा स्सै म्हां खातर
थे आंस्यूं परबार बापजी
 
बंगला-कार्यां , कोठ्यां-कोठा
थांरा सैंग बजार बापजी
 
छतर्यां थांरी , बिरखा थांरी
म्हांरौ कादो-गार बापजी
 
बरसां स्यूं म्हांरा मनसूबा
ठंडा ठीकर ठार बापजी
 
म्हांरौ घरियो तक म्हांरौ नीं
अर थांरौ संसार बापजी
 
करो मटरका रूप बदळथे
थे आछा खेलार बापजी
 
प्रगटो तो बस ,चुणाव-बेळा
नींस दीठ स्यूं बार बापजी
 
गुंडा डाकू चोर माफ़िया
सगळां नैं रुजगार बापजी
 
दफ़्तर-दफ़्तर रै भाठां ,
बिडरूप विराट हज़ार बापजी
 
रैयत रोवै उजळापै नैं
कळमष रह्या पसार बापजी
 
साच सुण्यां राजेन्दर-मूंढै
हुवै जबर-जूंझार बापजी
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar

(चित्र गूगल से साभार)