सरकार बापजी
(चित्र गूगल से साभार)
नमो
नमो सरकार बापजी
घणो
घणो उपकार बापजी
जीवणद्’यो का मारो म्हांनैं
थांनैं स्सौ इधकार बापजी
जका
जितावै थां’ नैं ; थे बां-
स्यूं
ई काढो खार बापजी
सालूं-साल बजट ल्यावो अर
म्हां पर मार-कु-मार बापजी
थां’रा
पूत कमाऊ , थां’ घर
अन-धन
रा भंडार बापजी
म्हांरै आटै लूण बळीतै
पर क्यूं घालो भार बापजी
पाणी
बिजळी गैस… कितां मिस
थे
छाती असवार बापजी
गोजा म्हांरा यूं पकड़ो ज्यूं
धरग्या थे ई कमा’र बापजी
थे
मोठां री छींयां मुळको
म्हांरै
सिर तलवार बापजी
नेम-कायदा स्सै म्हां खातर
थे आं’ स्यूं परबार बापजी
बंगला-कार्’यां , कोठ्यां-कोठा
थां’रा सैंग बजार बापजी
छतर्’यां थां’री , बिरखा थां’री
म्हांरौ कादो-गार बापजी
बरसां
स्यूं म्हांरा मनसूबा
ठंडा
ठीकर ठार बापजी
म्हांरौ घरियो तक म्हांरौ नीं
अर थां’रौ संसार बापजी
करो
मटरका रूप बदळ’ थे
थे
आछा खेलार बापजी
प्रगटो तो बस ,चुणाव-बेळा
नीं’ ऽ‘स दीठ स्यूं बा’र बापजी
गुंडा
डाकू चोर माफ़िया
सगळां
नैं रुजगार बापजी
दफ़्’तर-दफ़्’तर रै भाठां ,
बिडरूप विराट हज़ार बापजी
रैयत
रोवै उजळापै नैं
कळमष
रह्’या पसार बापजी
साच सुण्’यां राजेन्दर-मूंढै
हुवै जबर-जूंझार बापजी
-राजेन्द्र
स्वर्णकार
©copyright by
: Rajendra Swarnkar
(चित्र गूगल से साभार)
6 टिप्पणियां:
बढ़िया प्रस्तुति |
और का इन्तजार है-
आभार ||
बढ़िया प्रस्तुति |
और का इन्तजार है-
आभार ||
थारी कविता ने हु सदा ही बाचु अर enjoy करू |
Please tell us your already published work.
गुंडा डाकू चोर माफिया ,सगळां नै रुजगार बापजी !!
...............जोरदार है सा !!!!!!
जोरदार सा
बेहतरीन ! बहुत दिनों बाद आपकी रचना पढ़ी आनंद आ गया।
एक टिप्पणी भेजें