प्रस्तुत है सा ,
होळी रै मौके पर एक दोहा रचना
हिवड़ो रंगियो प्रीत सूं
मदन हिलोरा लेंवतो , सज’
सोळै सिणगार !
आयो म्हारै देश में , होळी रौ त्यौंहार !!
मेरे देश में प्रणय-तरंगित , सोलह
शृंगार-सुसज्जित होली का त्यौंहार आया है ।
तनड़ो तरसै परस नैं , प्रीत
करै मनवार !
आवो प्यारा पीवजी , सांवरिया
सिरदार !!
देह स्पर्श को तरस रही है , प्रीत
मनुहार कर रही है । हे सांवरे सरताज , प्रिय प्रियतम !
आपका स्वागत है… आइए !
होळी खेलण’ मिस गयो ,
कान्हो राधा-द्वार !
धरती सूं आभो मिळ्यो , स्रिष्टी
सूं करतार !!
होली खेलने के बहाने कन्हैया राधा के द्वार पर पहुंचे …
मानो धरा से गगन का और सृष्टि से विधाता का मिलन हुआ …
।
बाथां में कान्हो भर्’यो ;
राधा हुई निहाल !
झिरमिर बरसी प्रीतड़ी , आभै
रची गुलाल !!
कृष्ण कन्हैया ने बाहों में भरा तो राधिका निहाल हो गई ।
रिमझिम प्रीत बरसने लगी , आकाश
में गुलाल रच गई ।
भींजी राधा प्रीत में , कान्है
रै अंग लाग’ !
रूं – रूं गावण लागग्यो
, सरस बसंती राग !!
कन्हैया के अंग से लग कर राधा प्रीत में भीग गई ।
रोम रोम से सुमधुर बसंती राग की स्वर लहरियां प्रस्फुटित हो उठीं ।
मन भींज्यो , तन
भींजग्यो , गई आतमा भींज !
नैण मिळ्या जद नैण सूं , मुळक’
हरख’ अर रींझ’ !!
मुस्कुरा कर , हर्षित नयन जब
नयन से मिलन में रींझ गए, …तो
मन भीग गया , देह भीग गई ,
प्राण कैसे अछूते रहते … आत्मा भी भीग गई ।
फूलगुलाबी सांवरो अर राधाजी श्याम !
मोवै युगल सुहावणा , सुंदर
ललित ललाम !!
रंग रंग कर नीलवर्ण कन्हैया गुलाबी और गौरवर्ण राधाजी सांवले रंग
के दृष्टिगत हो रहे हैं । यह सुंदर , लावण्यमयी , सुहावनी
युगल छवि मोहित कर रही है ।
हिवड़ो रंगियो प्रीत सूं , छिब सूं रंगिया नैण !
होठ होठ सूं रंग दिया , कर’
चतराई सैण !!
चतुराई के साथ प्राणप्रिय साजन कान्हा ने हृदय को प्रीत से ,
नेत्रों को निज छवि से
और अधरों को स्वअधरों से रंग डाला ।
ओळ्यूं रंगदी काळजो , नैण
रंग्या चितराम !
स्रिष्टी विधना नैं रंगी , अर राधा नैं श्याम !!
इधर नंदनंदन कृष्ण ने वृषभान लली राधिका को रंगा कि
मधुर स्मृतियों – सुधियों से
अंतःस्थल रंग गया । विविध लीला रूपों से चक्षु रंग गए ।
साक्षात् विधाता ने सृष्टि को रंग डाला …
चोवै राधा नांव रस , पीवै
गोकुळ गांव !
बरसाणो छाकै अमी , सिंवर
सलोणो श्याम !!
पूरे ब्रह्माण्ड में हो रही राधा राधा नाम की रस वर्षा का रसपान कर’
गोकुल गांव तृ्प्त हो रहा है ।
सलोने श्याम के सुमिरन से बरसाना गांव जी भर कर अमृत छक रहा है ।
भगती रंग जमुना बहै , रंग्या
बाल-नर-नार !
रसभीनी राधा रट्यां , तूठै
क्रिषण मुरार !!
भक्ति – रंग की बहती यमुना में बाल वृंद नर नारी रंग गए
हैं ।
रसभीनी राधा राधा रटन से कृष्ण मुरारी की सहज कृपा अनुकंपा मिल
जाती है ।
राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by :
Rajendra Swarnkar
♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अठै सुणो सा हिवड़ो रंगियो प्रीत सूं
©copyright by : Rajendra Swarnkar
♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अठै सुणो सा हिवड़ो रंगियो प्रीत सूं
©copyright by : Rajendra Swarnkar
♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
होळी री हार्दिक मंगळकामनावां
♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
16 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
रंगों की बहार!
छींटे और बौछार!!
फुहार ही फुहार!!!
होली का नमस्कार!
रंगों के पर्व होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!!
होळी की घणी घणी शुभकामनायें .
भावपूर्ण प्रस्तुति !
होली के पावन पर्व की आपको हार्दिक शुभकामनाये !
आपके ब्लॉग "औळयूं मरुधर देश री" को अनुसरण कर रहा हूँ राजस्थानी नहीं समझने पर भी. इतिहासकार मानते हैं कि गढ़वाल में अधिकांश राजपूत जातियां राजस्थान से चार-पांच सौ साल पहले आयी थी. तपते रेतीले पहाड़ों से इस हिमालयी पहाड़ों में. जीवन विकट वहां पर भी था और यहाँ पर भी. वहां अरावली में छोटे छोटे दर्रे व संकरे मार्ग हैं तो यहाँ चौड़ी घाटियां. पिछले साल मेवाड़ घूमने गया था, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की भूमि. अच्छा लगा. भाषाई स्तर पर देखें तो गढ़वाल व राजस्थान के काफी शब्द मिलते जुलते हैं. 'ड़' 'ळ' व 'ण' का प्रयोग जैसे राजस्थानी में अधिक होता है वैसे ही गढ़वाली में भी.
शेष फिर. होली की अनेकानेक शुभकामनाएं.
bahut sundar prastuti!!! Holi par aapko hardik shubhkamnayein, harshollas se bhara yah parv aapke jeevan me apaar khushiyaan laye
राधा कृष्ण की शाश्वत प्रेम को साकार करती रचना .प्रणय का रास लीला का बेहतरीन चित्रण सात्विक प्रेम को नै परवाज़ देता हुआ .
राजेंद्र जी , लम्बे अंतराल के बाद आपकी बहुत खुबसूरत दोहों के साथ बोनस में मिली हास्य ग़ज़ल बहुत "दाय" आई .
लाज़वाब .
अति सुन्दर..मन कृष्णमय हो गया पढ़ कर..वाकई..एक एक दोहा कमल है सर..खास तौर पर वो होंठ से होंठ को रंगने वाला..बहुत बहुत बधाई..
बेहतरीन दोहे । सचमुच आपके ब्लाग पर आकर एक उपलब्धि होने का अहसास हुआ। आपकी लेखनी ऊर्जा से भरी है। मेरी भी शुभकामनाएँ। दोस्ती बरकार रहेगी ।
thari rachna chokhi laagee !!
mujhe ye language bahut achi lagi,, samjh to nhi hai jada, but hindi jaise hi hai.. and i liked the way it had been written..
waah anand aa gaya ..:) sunder post aur rang chokha , , yeh boli bhi padhkar maan baag-baag ho gaya ,
hardik shubhkamnaye
aapka yah blog follow kar rahi hoon .
abhar reply dene ke liye
shashi purwar
http://sapne-shashi.blogspot.com
bahut sundar rachna
बहुत बढ़िया,बेहतरीन करारी अच्छी प्रस्तुति,..
नवरात्र के ४दिन की आपको बहुत बहुत सुभकामनाये माँ आपके सपनो को साकार करे
आप ने अपना कीमती वकत निकल के मेरे ब्लॉग पे आये इस के लिए तहे दिल से मैं आपका शुकर गुजर हु आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
मेरी एक नई मेरा बचपन
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: मेरा बचपन:
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/03/blog-post_23.html
दिनेश पारीक
बहुत बढ़िया,बेहतरीन करारी अच्छी प्रस्तुति,..
नवरात्र के ४दिन की आपको बहुत बहुत सुभकामनाये माँ आपके सपनो को साकार करे
आप ने अपना कीमती वकत निकल के मेरे ब्लॉग पे आये इस के लिए तहे दिल से मैं आपका शुकर गुजर हु आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
मेरी एक नई मेरा बचपन
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: मेरा बचपन:
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/03/blog-post_23.html
दिनेश पारीक
बहुत सुन्दर , सार्थक सृजन.
एक टिप्पणी भेजें