थांरौ साथो घणो सुहावै सा…

21.11.11

राजस्थानी देह - आत्मा राजस्थान्यां री है !

आ माता म्हांरी है !
आ माता म्हारी है बीरा, माता आ थारी है !
आ माता थारी है बैनड़, माता आ म्हारी है !
राजस्थानी आपां सगळा राजस्थान्यां री है !

आ भाषा म्हांरी है लोगां ! माता आ म्हांरी है !
राजस्थानी भाषा सगळा राजस्थान्यां री है !
राजस्थानी देह - आत्मा राजस्थान्यां री है !

नव दुर्गा ज्यूं इण माता रा रूप निजर केई आवै
मोद  बधावै  मेवाड़ी  मन  हाड़ौती  हरखावै
बागड़ी ढूंढाणी मेवाती मारवाड़ी है !
भांत भांत सिणगार सजायेड़ी आ रूपाळी है !
आ माता म्हारी है बीरा, माता आ थारी है ! !

गरब सूं गवरल ज्यूं मायड़ नैं माथै उखण्यां घूमां
चिरमी मूमल काछबो गावां, लड़ली लूमां झूमां
मीठी मिसरी आ भाषा सगळां सूं प्यारी है !
चांदड़लै री उजियाळी आ सूरज री लाली है !
आ माता थारी है बैनड़, माता आ म्हारी है ! !

वीर बांकुरां री बोली आ सेठ साहूकारां री
वाणी भगतां कवियां करसां राजां बिणजारां री
मरुधरती रो कण कण पग पग मा सिणगारी है !
बडो काळजो राखण वाळी निरवाळी न्यारी है !
आ माता म्हांरी है सुणज्यो, भाषा आ म्हांरी है !!

गरबीली ठसकै वाळी है , जबर मठोठ इंयै री
जद गूंजै; के कान ? खोलदै खिड़क्यां बंद हियै री
मत जाणीजो इण रा जायोड़ां में मुड़दारी है !
आज काल में हक़ लेवण री इब म्हांरै त्यारी है !
राजस्थानी देह - आत्मा राजस्थान्यां री है !!

मत करज्यो रे बै'म कै भायां सूं भाई न्यारा है
काळजियै री कोर है भाई आंख्यां रा तारा है
अणबण व्हो ; म्हैं जूदा नीं व्हांमन में धारी है !
सावचेत रे टकरावणियां ! जीत अबै म्हांरी है !
सावचेत रे टरकावणियां ! जीत अबै म्हांरी है !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
 


17 टिप्‍पणियां:

Pallavi saxena ने कहा…

bahut hee mithi rajistaani bhashaa ka proyog kiya hai hai aapne...sundar rachna badhai...samay mile kabhi to aaiygaa meri post par aapka svagat hai...

sushila ने कहा…

"मत करज्यो रे बैम कै भायां सूं भाई न्यारा है
काळजिये री कोर है भाई आंख्यां रा तारा है"
अर
"सावचेत रे टरकावणियां ! जीत अबै म्हारी है!"

एकता मैं बळ होवै है भाई सा । करोड़ां राजस्थानी एक हो जावैं तो जीत तो फ़िर निश्चित ही है भाई सा !

सब भाण-भायां नै जोड़ती भोत ई सोवैणी रचना ! बधाई !

नीरज गोस्वामी ने कहा…

भाई जी गज़ब रचना है...बधाई स्वीकारो सा...

नीरज

निर्झर'नीर ने कहा…

राजेंद्र भाई ..आपकी हौसलाफजाई का अंदाज किसी कविता से कम नहीं धन्य भाग हमारे .
.यक़ीनन
"सावचेत रे टरकावणियां ! जीत अबै म्हारी है!"
शब्द, भाव प्रवाह हर लिहाज से आपकी लेखनी मन को छूती है
दाद और बंधाई हाजिर है
ये शब्दों के मोती यूँ ही बरसते रहें

शुभकामनायें

Ashok Kumar ने कहा…

मनडे रो सिणगार ओ मायड़ रो सतकार; घणा घणा म्हारा परणाम

Ashok Kumar ने कहा…

मनडे रो सिणगार ओ मायड़ रो सतकार; घणा घणा म्हारा परणाम

Raj ने कहा…

श्री राजेन्द्र भाई,

राजस्थानी भाषा से ओत-प्रोत आपका ब्लाक और कवितायेँ देख कर मन बहुत प्रफुल्लित हुआ !

Hindustani ने कहा…

वाह भेजी मंदों परसन्न ही गयो...मोकली बधाई सा

Hindustani ने कहा…

वाह भेजी मंदों परसन्न ही गयो...मोकली बधाई सा

Hindustani ने कहा…

वाह भेजी मंदों परसन्न ही गयो...मोकली बधाई सा

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

राजेन्द्र जी बहुत ही सुंदर रचना बधाई...
मेरे नए पोस्ट में आपका स्वागत है

Rajput ने कहा…

मत करज्यो रै बै'म के भाया सुन भाई न्यारा ...\
बहुत सुन्दर सन्देश | इतनी सुन्दर रचना के लिए थानै मोकळी बधाई |

पुरुषोत्तम पाण्डेय ने कहा…

मनभावन सुन्दर रचना.म्हारी दिल सू बधाई.

Mamta Bajpai ने कहा…

बहत सुन्दर रचना बधाई

virendra sharma ने कहा…

आंचलिक धारा को जीवित रखने का अनुपम प्रयास .बधाई .सुन्दर मनोहर .

ज्योति सिंह ने कहा…

main to isi mitti me badi hui ,isse to hamara gahra nata hai .padhkar bachpan ki yaad aa gayi .badhiya

पुरुषोत्तम पाण्डेय ने कहा…

बहुआयामी सुन्दर रचना. आपकी लेखनी को सलाम.