थांरौ साथो घणो सुहावै सा…

12.5.14

जग खांडो , अर ढाल है मा !

मा ई मिंदर री मूरत

जग खांडो , अर ढाल है मा !
टाबर री रिछपाळ है मा !
जायोड़ां पर आयोड़ी
विपतां पर ज्यूं काळ है मा !
दुख-दरियाव उफणतो ; जग
वाळां आडी पाळ है मा !
मैण जिस्यो हिरदै कंवळो
फळ-फूलां री डाळ  है मा !
जग बेसुरियो बिन थारै
तूं लय अर सुर-ताल है मा !
बिरमा लाख कमाल कियो
सैंस्यूं गजब कमाल है मा !
लिछमी सुरसत अर दुरगा 
था'रा रूप विशाल है मा !
मा ई मिंदर री मूरत
अर पूजा रौ थाळ है मा ! 
जिण काळजियां तूं नीं ; बै
लूंठा निध कंगाल है मा !
न्याल ; जका मन सूं पूछै
- था'रो कांईं हाल है मा !
धन कुणसो था'सूं बधको ?
निरधन री टकसाल है मा !
राजेन्दर था'रै कारण 
आछो मालामाल है मा !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar

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मां पर लिखी मेरी राजस्थानी ग़ज़ल के भावों तक आप अवश्य ही पहुंच पाए हैं , 
कुछ और गहराई से रचना की आत्मा का स्पर्श कर पाएं , 
इसलिए कठिन शब्दों के अर्थ प्रस्तुत हैं - 

खांडो = खड़्ग/ तलवार
रिछपाळ = रक्षक
विपतां = विपदाएं 
काळ = काल 
वाळां आडी पाळ = बाढ़ से उफनते नालों के लिए अस्थायी बांध
मैण = मोम 
हिरदै = हृदय 
कंवळो = कोमल
सैंस्यूं गजब = सबसे अद्भुत 
जिण काळजियां तूं नीं = जिन कलेजों में तू नहीं है
लूंठा निध = (वे)धनवान बेटे
न्याल = धन्य धन्य
था'रो कांईं हाल है मा != तुम्हारा क्या हाल है मां !
कुणसो = कौनसा 
बधको = बढ़कर
निरधन री टकसाल = निर्धन बेटे की टकसाल
था'रै कारण = तुम्हारे कारण 
आछो मालामाल = अच्छा मालदार
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राम राम सा

8 टिप्‍पणियां:

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

भक्ति रस में राजस्थानी ग़ज़ल पहली बार पढ़ा ,मज़ा आया ,बहुत सुन्दर !
बेटी बन गई बहू

Neeraj Neer ने कहा…

समझना मुश्किल था ... जितना समझा बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत खूब । बहुत कुछ आया समझ में । शब्दार्थ देने का शुक्रिया ।

Asha Joglekar ने कहा…


जिन काळजियों तू नी बै
लूंठा निद कंगाळ है माँ


मन को छू गई आपकी ये माँ को समर्पित कविता। राजस्थानी भाषा को आपके शब्दार्थों नें समजा दिया।

गोपाल मानसिंगका ने कहा…

आपके ब्लॉग का अवलोकन किया।माँ पर इतनी सुंदर काव्यात्मक रचना ने आत्मविभोर कर दिया।साधुवाद !

hem pandey(शकुनाखर) ने कहा…

दोनों होंठों के चुम्बन से
उच्चारण होता है "माँ"!

कहकशां खान ने कहा…

एक बेहतरीन राजस्‍थानी भाषी कविता। समझ में तो आती ही है।

Narpat Ashiya"Vaitalik" ने कहा…

बहुत ही बहतरीन गज़ल