राम राम सा
राजस्थान दिवस
री
मोकळी बधाई अर मंगळकामनावां !
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इण ब्लॉग पर आप सब रौ घणैमान स्वागत है सा !
आप सभी का यहां हार्दिक स्वागत है !
All of you are most welcome here .
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ओळ्यूं आपांरी जिनगाणी रौ घणो महताऊ भाव है ।
ओळ्यूं रा अरथ याद , स्मृति memory या remembrance
सूं घणा बत्ता ( more ) अर ऊंडा (deep) है ।
इण ब्लॉग ओळ्यूं मरुधर देश री… पर
संसार रा सगळा राजस्थानी भायां-बहनां रौ
अंतस रै ऊंडै हेत-हिंवळास सागै घणैमान स्वागत है…
भलां ई आप किणी प्रांत, किणी देश, किणी भूभाग पर बस्योड़ा हुवो।
आपरौ जे सात पीढ़ी पैलां भी राजस्थान सूं समंध हो
अर आपनैं आपरी माटी रै प्रति , आपरी मात-भाषा-बोली रै प्रति अपणायत अर लगाव री जाबक ई ललक अर हूंस लखावै ,
तो औ ब्लॉग आप खातर ई है सा ।
आप आपरी मन री बात अठै निधड़क कर सको ।
जद कद भी मातभोम ( mother-land ) री गोदी री ओळ्यूं आवै ,
का (or) मातभाषा ( mother-tongue) री रळी आवै ;
आ’र बंतळ करो , कीं कैवो… कीं सुणो…
औ थांन आपरौ ई है सा ।
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आज माटी री वंदना रौ एक गीत
रढ़ियाळो रळियावणो , रूड़ो राजस्थान ॥
जय जय जय राजस्थान !
ओ म्हारा प्यारा रजथान !
ओ रूपाळा राजस्थान ! ओ रींझाळा राजस्थान !
बिरमाजी थावस सूं मांड्या , थारा गौरव गान !!
ओ रणबंका रजथान ! ओ रंग रूड़ा राजस्थान !
©copyright by
: Rajendra Swarnkar
आज माटी री वंदना रौ एक गीत
*जय जय राजस्थान*
सुरंग सुरीलो सोहणो , सुंदर सुरग समान ।
ओ भुरजाळा
राजस्थान ! ओ गरबीला राजस्थान
!
गावै वीणा लियां सुरसती , थारा कीरत गान !!
लुळ लुळ' सूरज किरणां इण माटी रो माण बधावै सा
हाथ जोड़ियां आभो अपलक निरखै ; हुकम बजावै सा
मगन हुयोड़ो बायरियो कीरत में धुरपद गावै सा
नांव लियां ही मुरधर रो , मन गरब हरख भर जावै सा
कुदरत मा मूंढ़ै मुळकै !
हिवड़ां हेज हेत छळकै !!
मस्ती मुख मुख पर झळकै !!!
जय जय जय राजस्थान ! ओ म्हारा प्यारा रजथान !
मस्ती मुख मुख पर झळकै !!!
जय जय जय राजस्थान ! ओ म्हारा प्यारा रजथान !
इण माटी रौ कण कण तीरथ , सूरज , चांदो अर तारा
कळपतरू सै झाड़ बिरछ है ; गंगा जमुना नद नाळा
धोरां धोरां अठै सुमेरू ; मिनख लुगाई जस वाळा
शबदां शबदां में सुरसत ; कंठां कंठां इमरत धारा
मुरधर सगळां नैं मोवै !
इचरज देवां नैं होवै !!
स्सै इण रै साम्हीं जोवै !!!
जय जय जय राजस्थान ! ओ म्हारा प्यारा रजथान !
वीरां शूरां री धरती री निरवाळी पहचाण है
संत सत्यां भगतां कवियां री लूंठी आण-बाण है
आ माटी मोत्यां रो समदर , अर हीरां री खाण है
म्है माटी रा टाबरिया , म्हांनै इण पर अभिमान है
रुच रुच' इण रा जस गावां !
जस में आणंद रस
पावां !!
मुरधर पर वारी जावां !!!
जय जय जय राजस्थान ! ओ म्हारा प्यारा रजथान !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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~*~ अठै सुणो म्हारौ औ गीत ~*~
म्हारी बणायोड़ी धुन अर म्हारी ही आवाज में
खास आप वास्तै
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar
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सुरंग = आनन्द-माधुर्य-प्रफुल्लता-प्रदायक , शुभ , सुंदर , शुभ्रवर्णी , सुशोभित
सुरीलो = कर्णप्रिय मधुर स्वर वाला
सोहणो = शोभायमान , सुहावना
सुरग = स्वर्ग
रढ़ियाळो = अडिग आन बान वाला , जुझारू , पौरुषवान , दृढ़ प्रतिज्ञ ,
हठी , स्वाभिमानी , शक्तिशाली ,
रळियावणो = मोहक , आकर्षक , प्रिय जिससे मिलने से मन ही न भरे
रूड़ो = सर्वोत्तम , सर्वश्रेष्ठ , समर्थ , सक्षम , चरित्रवान ,
( ‘रढ़ियाळो’ और ‘रळियावणो’ तथा ‘रूड़ो’ शब्दों में इतने विराट व्यापक सकारात्मक अर्थ अंतर्निहित हैं कि व्याख्या का विस्तार बढ़ते ही रहने की संभावना है । और विडंबना देखिए , ‘रढ़ियाळो’ और ‘रळियावणो’ इन शब्दों का प्रयोग आम रचनाकार की तो छोड़िए , पिछले 20-25 वर्षों में इधर-उधर और अकादमियों से सम्मानित-पुरस्कृत रचनाकारों तक ने अपनी रचनाओं में नहीं किया । … मेरे ध्यान में तो नहीं आया । अफ़सोस , राजस्थानी के असंख्य RICH शब्दों का क्षरण और विलुप्तिकरण निरंतर होता जा रहा है …!)
सुरीलो = कर्णप्रिय मधुर स्वर वाला
सोहणो = शोभायमान , सुहावना
सुरग = स्वर्ग
रढ़ियाळो = अडिग आन बान वाला , जुझारू , पौरुषवान , दृढ़ प्रतिज्ञ ,
हठी , स्वाभिमानी , शक्तिशाली ,
रळियावणो = मोहक , आकर्षक , प्रिय जिससे मिलने से मन ही न भरे
रूड़ो = सर्वोत्तम , सर्वश्रेष्ठ , समर्थ , सक्षम , चरित्रवान ,
( ‘रढ़ियाळो’ और ‘रळियावणो’ तथा ‘रूड़ो’ शब्दों में इतने विराट व्यापक सकारात्मक अर्थ अंतर्निहित हैं कि व्याख्या का विस्तार बढ़ते ही रहने की संभावना है । और विडंबना देखिए , ‘रढ़ियाळो’ और ‘रळियावणो’ इन शब्दों का प्रयोग आम रचनाकार की तो छोड़िए , पिछले 20-25 वर्षों में इधर-उधर और अकादमियों से सम्मानित-पुरस्कृत रचनाकारों तक ने अपनी रचनाओं में नहीं किया । … मेरे ध्यान में तो नहीं आया । अफ़सोस , राजस्थानी के असंख्य RICH शब्दों का क्षरण और विलुप्तिकरण निरंतर होता जा रहा है …!)
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ओ मेरे प्यारे राजस्थान ! तुम्हारी निरंतर जयजयकार हो ।
ओ मन मुग्ध कर देने वाले मनोहर राजस्थान !
विधाता ने बहुत धैर्य , तल्लीनता और रुचि के साथ तुम्हारे गौरव-गान लिखे हैं ।
ओ भुजाओं के बलशाली योद्धा , ओ गर्वित राजस्थान !
ओ श्रेष्ठतम् रण-प्रवीण ! तुम्हें रंग हैं !
वीणा लिये हुए साक्षात् सरस्वती तुम्हारे कीर्ति-गान गा रही है ।
झुक-झुक कर सूर्य-किरणें राजस्थान की इस मिट्टी का मान बढ़ाती है ।
इसके आदेश की प्रतीक्षा में आसमान हाथ जोड़े हुए अपलक निहारता रहता है ।
आनन्दविभोर , ध्यानमग्न वायु के झोंके इसकी कीर्ति में ध्रुपद गाते रहते हैं ।
ऐसे मरुधर का नाम लेते ही मन में गर्व और हर्ष भर जाता है ।
प्रकृति यहां साक्षात् मुस्कुराती है ।
हृदय-हृदय में यहां अपनत्व और स्नेह छलकता है ।
संतुष्टि भरी मस्ती हर चेहरे पर दृष्टिगत होती है ।
ओ मेरे प्यारे राजस्थान ! तुम्हारी निरंतर जयजयकार हो ।
इस मिट्टी का कण-कण तीर्थ है , ज़र्रा-ज़र्रा सूर्य है , चांद है , सितारा है ।
यहां का हर पेड़ , हर झाड़ कल्पवृक्ष है । यहां के नदी-नाले गंगा हैं , यमुना हैं ।
यहां के रेतीले टीले सुमेरु पर्वत हैं । यहां के नर-नारी बहुत यशस्वी हैं ।
यहां शब्द-शब्द में सरस्वती और कंठ-कंठ में अमृत है ।
ऐसी मेरी मरुधरा सबको मोहित करती है ।
इसकी महिमा देख कर देवताओं को भी आश्चर्य होता है ।
हर कोई राजस्थान के प्रति ही आसक्त और आशान्वित है ।
ओ मेरे प्यारे राजस्थान ! तुम्हारी निरंतर जयजयकार हो ।
शूर-वीरों की इस धरती की सबसे अलग ही पहचान है ।
यहां संतों , सतियों , भक्तों , कवियों की जबरदस्त आन-बान है ।
यह मिट्टी मोतियों का सागर और हीरों की खान है ।
हम इस मिट्टी की संतान हैं , जिन्हें इस पर गर्व और अभिमान है ।
हमें इस मिट्टी का यशोगान प्रिय है
राजस्थान की स्तुति में हमें आनन्द और रस की प्राप्ति होती है ।
हम इस मरुभूमि पर न्यौछावर हैं ।
ओ मेरे प्यारे राजस्थान ! तुम्हारी निरंतर जयजयकार हो ।
तो आज विदा री वेळा आयगी , भळै (again) मिलसां ।
अबै सीखड़ली दिरावो सा ।
आपरी प्रतिक्रियावां री घणी उडीक रैसी सा
जय राजस्थान
जय राजस्थानी
जय राजस्थान
जय राजस्थानी
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28 टिप्पणियां:
ओळ्यू रो घणा मान सूं स्वागत है, राजेन्द्र सा।
ओ रूपाळी साईट देख'र हीवडो अन्तर में नी मावै!!
मंगल चावां धोरा री धरती रो
भाई जी ओल्युं पे आर मन में घनी आनंद री बरखा हुई ...
नीरज
saantre pryas saaru apne badhaee...
स्वागत है ओळयू रो!!
पिण काळ री टिपणी दिखै कोनी? कै हुओ
राजस्थान स्थापना दिवस पर आपको
हार्दिक शुभकामनायें।
Aaj to sona ro suraj ugiyo sa
आदरजोग राजेंद्र जी
लखदाद आपनै
राजस्थान दिवस माथै ओ लूंठो ब्लॉग तेवड्यो है आप
घणा घणा रंग इण ब्लॉग नै
अर आपनै
घणो सोव्णों ब्लॉग है सा..जबरो
RAJSTHANI BLOG saaru ghani badhaai .
sowno geet !!
rajsthani sabda ri gni chati hoi hai ib i chet jaawa to syat bot kcuh bch jaasi ar dhakli pidhi ne shrmindgi su bacha ska.
jai rajsthani jai rajsthan !
वाह सा.... राजेंद्र जी, आपरो जवाब नहीं सा..... ब्लॉग रो लिंक फेसबुक पर शेयर करयो है सा.........
आपरो ओळयूं ब्लोग देख्यो मन ने घणी खुशी होई जय राजस्थानी जय राजस्थान
bhot hi saantro blog banayo sa...
वीरां री धरती है ओ राजस्थान
अर वीरता री बोली है राजस्थानी रे
आदर सत्कार री धरती ओ राजस्थान
अर कदर कायदा री बोली राजस्थानी रे
कितरो रंग बिरंगो रुपालो ओ राजस्थान
तो क्यूँ भूलां आपां राजस्थानी रे ...जय राजस्थान जय राजस्थानी
शोभा राजपुरोहित
बधायजै सा !
जबरो बणायो नीं ब्लोगडो़ तो !
मीठा-मीठा गीत अर मीठी-मीठी वाणी !
काईं कै’वणा है भाई राजेन्द्र जी स्वर्णकार रा !
आवण आळै दिनां में ओ ब्लोग सांगोपांग निखरसी !
आ आस मतै ई बधै !
ऐकर फ़ेरयूं बधायजै सा !
इण ब्लोगडै माथै आपरी फ़ोटू टांगण री खेचळ करी पण नाको कोनीं लाग्यो ! ठाह नीं काईं रोळो है ! खैर ! अब तो ऐकर निरास होय’र जाऊं पण भळै आस्यूं !
हिंदी का ही प्रयोग ज्यादा करने के कारण कई बार कुछ राजस्थानी शब्द सुनने पर सहसा बोलना हो जाता है ..".इसे तो भूल ही गए थे" ...
अपनी मातृभाषा से प्रेम करने वालों के लिए बहुत ही सार्थक और ज्ञानवर्धक प्रयास है !
आभार !
apki surili aawaz ne chaar chaand laga diye is geet mein ... shukrya Rajendr ji ...
jay Rajasthan :) Rajasthan ke bagair Bharat ki kalpana mano nirasta. Rajasthan ki sanskriti ki mahak aaj sirf Bharat me hi nahin poore vishw men mahak rahi hai.
***** JAI RAJASTHAN********
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ROSHANI
सुरंगी धरती की रंगीली सुहावणी बातां आपका ई उपकार सूँ जाणबाँ नै मिलैली. आपको भोत भोत उपकार है यो म्हाका जस्या लोग़ा पर.
बोत ही चोखो ब्लोग .... चोखा अर रस सु भरियोडा गीत भी नाखया.बोत आच्छी मेहनत करीजी है लखदाद
बोत ही चोखो ब्लोग .... चोखा अर रस सु भरियोडा गीत भी नाखया.बोत आच्छी मेहनत करीजी है लखदाद
यह ब्लॉग रचना अच्छी लगी राजेंद्र भाई !
आप राजस्थान के लिए ही नहीं, पूरे भारत के लिए गौरव हैं ! मुझे विश्वास है कि इस ब्लॉग के जरिये, राजस्थानी भाषा को ऊंचाइयों पर पंहुचाने में आप कामयाब रहेंगे !
मैं यह भी उम्मीद करता हूँ कि निकट भविष्य में इस ब्लॉग के जरिये, राजस्थानी भाषा की विनम्रता और मिठास को पूरा देश महसूस करेगा !
सस्नेह
चौखो पर्यास भायाजी, माटी री गंध अ'र संस्कृति री सुगंध मिळे है आपरा ब्लॉग माँय. म्हारी शुभकामना आप रे संग है. माता करणी री किरपा आप पे बरसती रहे.
राजस्थान री आण-बाण रो यह गाण निरंतर चालतो रहे..
प्रिय राजेन्द्र जी,
ओळयूं रे प्रवेशांक पे सब सूं पेली आपने म्हारी ओळयूं आयी इण सूं बढ़‘र म्हारो सौभाग्य और कांई व्है सकै।आपरौ आभार न घणेमान बधाई।
गीत पढ़ियो अर सुणियो भी।आप शब्दां रा कारीगर अर आवाज़ रा जादूगर हो इण में कोई दो राय नी।लाग्या रैवो।
परम आदरणीय राजेन्द्रजी स्वर्णकारसा
आप रो ब्लॉग और ओल्यु देखने बहोत ख़ुशी वेई री है | आप रो विस्तार में परिचय भी पढयो | बहोत आछो लाग्यो कि आप री अतरी रचना प्रकाशित वेई थकी है | खूब खूब बधईया |
यो समय सब सु बढ़िया समय है जद कि राजस्थानी भाषा ने मान्यता मिल सके | | अबार जड़ी ढंग सु उच्चतम न्यायालय भारत सरकार ने अलग अलग विषय पर लतेड लगाई रियो है वडी हिसाब सु अगर कोई राजस्थानी वकील सुप्रीम कोर्ट में वे तो एक लीगल litigation राजस्थानी भाषा की मान्यता के वास्ते लगावा की जरुरत है | अबार सरकार नरई पचड़ा में फसी थकी है सो यो काम जल्दी वे सके है |
RTI कि भी सहयता लेवा कि जरुरत है | कड़ी वकील रो नाम तो वतावो जड़ीउ आपा बात कर सका |
बहोत बहोत शुभकामना
आपरो शुभचिंतक
सुरेन्द्र सिंह पोखरना
ओल्युं ब्लॉग पै आयके चोखो लाग्यो राजेंद्र जी,
थे मेल कोणी करता तो, म्हाने ठा ही कोणी लगाती...
गीत भी सोहणो गायो हे.......आनंद आग्यो.......
घणी-घणी बधाई सा.....
परम आदरणीय राजेन्द्रजी स्वर्णकारसा
आप रो ब्लॉग और ओल्यु देखने बहोत ख़ुशी वेई री है | आप रो विस्तार में परिचय भी पढयो | बहोत आछो लाग्यो कि आप री अतरी रचना प्रकाशित वेई थकी है | खूब खूब बधईया |
HARDIK BADHAEE AWAN SHUBHKAMNAEN.
DR. RADHAKISHAN SONI
SRI DUNGARGARH
9414416250
7742331431
rksonisdgh@gmail.com
आप राजस्थान के गौरव हैं ! DR. REEMA SONI
SRI DUNGARGARH
your blog is best.
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