पूजीजै गंदी नाळ्यां
आकां माथै हरियाळ्यां
सूखै तु्ळछी री डाळ्यां
गंगाजी नैं गाळ अबै
पूजीजै गंदी नाळ्यां
थोर हंसै गमला में, अर
खेत सड़ै सिट्टा बाळ्यां
अबै अमूझो-अंधारो
करै झरोखा अर जाळ्यां
गिणै न बायां-बेट्यां नैं
अधमां रै टपकै लाळ्यां
माथो जठै पीटणो व्है
लोग बठै पीटै ताळ्यां
आं'रो कीं करणो पड़सी
राजिंद, नीं चालै टाळ्यां
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
मेरे ग़ैर राजस्थानी भाषा-भाषी स्नेहीजनों की सुविधा के लिए उपरोक्त रचना का
भावार्थ
आक जैसे अनुपयोगी पौधों पर तो हरियाली है
और तुलसी जैसे बहुपयोगी पौधे सूख रहे हैं ।
जिसे पूजा जाना चाहिए ,
उस पवित्र नदी गंगा को गालियां मिल रही है ,
जबकि गंदी नालियों का पूजन हो रहा है ।
लाड़ से सहेज लिये जाने के कारण निरर्थक कुकुरमुत्ते गमलों में
मुस्कुरा रहे हैं ,
और खेतों में धान के सिट्टे-बालियां रख-रखाव के अभाव में सड़ रहे
हैं ।
झरोखे-जालियां हवा और प्रकाश देने की जगह घुटन और अंधकार कर रहे
हैं ।
आज दानव से भी गया-गुज़रा बन चुका अधम आदमी
बहन-बेटियों के प्रति भी वासना भरी कामुक दृष्टि से लार टपका रहा
है ।
उफ़ ! ऐसी विडंबनाओं को देख कर जहां सर पीट लेना चाहिए ,
वहां लोग नासमझी और ग़ैर-जिम्मेवारी से तालियां पीट रहे हैं ।
कवि राजेन्द्र कहता है कि इन
सबके निदान के प्रयास करने होंगे ,
टालने से काम नहीं चलेगा ।
फेर मिलसां सा
घणैमान रामाश्यामा !
आवण वाळी दियाळी री
मोकळी बधायां अर मंगळकामनावां !
17 टिप्पणियां:
बहुत पावन विचार लिये एक सुंदर रचना ! आजकल रचनाओं से ऎसी पवित्रता लुप्त-सी हो गई है ! बधाई !
भाई जी के कहूँ...??? बोलती बंद कर दी आप तो...बढ़िया रचना...
नीरज
बहुत ही गंभीर बात कही हे आपने आज सभी को इन बातो पे चिंतन और मनन करना चाहिए |
बहुत पावन विचार लिये एक सुंदर रचना|
राजेन्द्र जी इस सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकारें। लेकिन जिस तरह का रंगरूप इसे दिया है वह उतनी प्रभावित नहीं कर रही है। तुलसी और गंगा के संदर्भ वाली कविता यदि सादगी के साथ आती तो अधिक प्रभावित करती।
वर्तमान का सही आकलन प्रस्तुत किया है आपने!
कवि कर्म का दायित्व और निर्वहन यही तो है !
आ काबिता ने बांचर हि ठा चाल्यो क कदी-कदी पद , गद पे भारी पडे
bhut khub sa.sundre prastutiper badhi sa.
एकदम सही फरमा रहे हैं। कवि अपने परिवेश के प्रति जागरूक होता ही है। उसकी रचनाधर्मिता भी इसी में है कि सही और गलत को न सिर्फ उचित नज़रिए से देखे,बल्कि उसे अभिव्यक्त करने का साहस भी जुटाए।
बहु सुन्दर विचार से भरी रचना. रचना का अनुवाद भी साथ में प्रस्तुत कर आपने बड़े ह्रदय का परिचय दिया है. आभार.
मेरे नए पोस्ट (हिंदी कविता) पर आपका स्वागत है,
www.belovedlife-santosh.blogspot.com
आप बीकानेर के रहने वाले हो एवं मैं बिहार का फिर भी राजस्थान का जैसलमेर मेरे लहू के रंग में रच-बस सा गया है । मैं वायु सेना में था एवं मेरा तैनारी जैसलमेर में हुई थी। आपका राज्य बहुत अच्छा लगा ।
राजस्थानी में लिखे गए पोस्ट को देख कर मेरी स्मृतियां सजीव हो उठी । पोस्ट अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । धन्यवाद ।
रचनाओं के माध्यम से समाज में जागरूकता पैदा करने का दुष्कर कार्य कर रहे हैं आप राजेन्द्र जी ... बहुत बधाई ...
आपणी सभ्यता अर संस्कृति री याद दिरावण खातर घणी घणी बधाई, आप तो बिहारी रे सतसैया ज्यूं गागर में सागर भरी है.
ASHOK; Apny-Khunja; Hanumangrh Junction LOCATION at globe :- 29.6095N 74.2690E
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आपणी सभ्यता अर संस्कृति री याद दिरावण खातर घणी घणी बधाई, आप तो बिहारी रे सतसैया ज्यूं गागर में सागर भरी है.
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speechless kar diya aapne Sir..
Regards..!
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