tag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post415266390661132132..comments2024-01-19T20:16:54.687+05:30Comments on ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: जिनगाणी लागै !Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttp://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-3408570426404607472011-07-09T15:26:52.004+05:302011-07-09T15:26:52.004+05:30vaah !!vaah !!varshahttps://www.blogger.com/profile/03696490521458060753noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-37590683322455657772011-07-06T23:49:54.713+05:302011-07-06T23:49:54.713+05:30थारो राजस्थानी,मोर बर छत्तीसगढ़ी
रोटी तो रोटी रहे....थारो राजस्थानी,मोर बर छत्तीसगढ़ी <br />रोटी तो रोटी रहे.थाली हो सोने मढ़ी.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-34503764436438884832011-07-04T13:19:53.216+05:302011-07-04T13:19:53.216+05:30बहुत सुंदरबहुत सुंदरसुधीर राघवhttps://www.blogger.com/profile/00445443138604863599noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-86853240656827062582011-06-24T11:59:31.312+05:302011-06-24T11:59:31.312+05:30बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-83493445326641946852011-06-15T09:46:52.375+05:302011-06-15T09:46:52.375+05:30प्रिय श्री राजेंद्र स्वर्णकार जी !
अभिवादन.
आप जैस...प्रिय श्री राजेंद्र स्वर्णकार जी !<br />अभिवादन.<br />आप जैसे समृद्ध लेखनी के धनी ने मेरी कविताओं की तारीफ की ,बहुत अच्छा लगा.दिल से उपजी बात ही दिल को छुआ करती है.आपकी हिंदी और राजस्थानी रचनाएँ इत्मिनान से पढ़ कर रस से सराबोर हो गया.सच कहा जाये तो भावनाओं का धरातल ह्रदय होता है.जिसकी अपनी कोई भाषा नहीं होती.भावनाओं को किसी भी भाषा में अभिव्यक्त किया जाये ,दिल को समझ में आ ही जाती है.आपकी राजस्थानी रचनाएँ ह्रदय को छू गईं.मेरे अंचल की छत्तीसगढ़ी भी आपको निश्चय ही समझ में आ ही जाएगी.प्रयोग करके देख लें - आपमन के सब्बो रचना ला पढेवं.सुग्घर पारंपरिक तरीका माँ लिखथौ. आज के जमाना मा बहुत कम कवि मन छंद के प्रयोग करथें. दोहा,चौपाई,सवैया,सोरठा,कुंडली लिखे में कवि ला बहुत पीरा अउ तकलीफ उठाना पड़थे .सोना जतिक ज्यादा आगी माँ जरही,वोतकेच निखर आही.तइसने कविता मा होथे. आपके लेखनी ऊपर सरसती माता के किरपा बने रहे ,मोर प्रारथना हे.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-79111429642695449112011-06-12T23:23:10.111+05:302011-06-12T23:23:10.111+05:30बहुत सुन्दर .राजस्थान के पड़ोसी ..आगरा बासी होने से...बहुत सुन्दर .राजस्थान के पड़ोसी ..आगरा बासी होने से काफी राजस्थानी समझ में आरही है... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-84285100629951112562011-06-12T23:15:17.188+05:302011-06-12T23:15:17.188+05:30शानदार ...
विधना रूप घडण सूं पैलां,
सिष्टि सगली छा...शानदार ...<br />विधना रूप घडण सूं पैलां,<br />सिष्टि सगली छाणी लागै |....क्या बात है... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-89812198820294724712011-06-10T16:32:09.072+05:302011-06-10T16:32:09.072+05:30अति सुन्दर
वैसे तो हिंदी के सारे रूप, या यूँ कहें...अति सुन्दर <br />वैसे तो हिंदी के सारे रूप, या यूँ कहें की देवनागरी में लिखी लगभग सभी भाषाएँ / बोलियाँ समझ में आ जाती हैं लेकिन यहाँ भावार्थ पढ़ कर आनंद दुगुना हो गया |रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-77279767907093777462011-06-08T10:28:38.568+05:302011-06-08T10:28:38.568+05:30aapno rajasthanaapno rajasthanRicha P Madhwanihttp://shayaridays.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-23090143702691953202011-06-04T18:25:35.949+05:302011-06-04T18:25:35.949+05:30बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,
विवेक जैन vivj2000.blogsp...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, <br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-16099089392727973952011-06-04T17:54:26.097+05:302011-06-04T17:54:26.097+05:30Dear Rajendra ji....
Greetings of the day....
I...Dear Rajendra ji....<br />Greetings of the day....<br /><br /> It's my pleasure to read your blog. Congrats on writing such a wonderful ....."LOK GEET'वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05613141957184614737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-27781470350027313252011-06-03T17:43:09.609+05:302011-06-03T17:43:09.609+05:30राजेंद्रजी...
पहली बार आयी यहाँ
और आते ही आपकी ...राजेंद्रजी...<br /><br />पहली बार आयी यहाँ <br /><br />और आते ही आपकी रचना ने मन्त्र-मुग्ध कर दिया...<br /><br />इतना सुन्दर सरल चित्रण...<br /><br />कैसे किया आपने ?? <br /><br />तारीफ के लिए शब्द कहाँ से लाऊँ ??***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-36058711120328689752011-06-03T15:13:10.897+05:302011-06-03T15:13:10.897+05:30बहुत अच्छा लिखा है...अच्छा हुआ जो हिंदी में अर्थ भ...बहुत अच्छा लिखा है...अच्छा हुआ जो हिंदी में अर्थ भी बता दिया वर्ना थोड़ा-बहुत तो अनुमान लग जाता है....पूरा नहीं....वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-90571257141363772522011-06-03T13:40:32.036+05:302011-06-03T13:40:32.036+05:30राजेन्द्र जी । आपके वारे में जाना । आपकी अभी तक प्...राजेन्द्र जी । आपके वारे में जाना । आपकी अभी तक प्रकाशित दो पुस्तकों के लिये हार्दिक बधाई। सरस्वती ने आप पर कितनी कृपा की है जो साहित्य श्रृजन के साथ चित्रकारी और संगीत में भी आपका दखल है। मेरी शुभकामनायें है कि आप हजार दफे पुरस्कृत हो।<br /> हां इस कविता का आपने अर्थ भी किया । वैसे मुझे कुछ दिन छबडा, करौली, पिडावा जो मध्यप्रदेश से लगे है वहां रहने का काम पडा है तो राजस्थानी बोली बडी प्यारी लगती है। पधारो सा म्हारा देसBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-90155806232287685102011-05-23T20:31:06.121+05:302011-05-23T20:31:06.121+05:30माँ पर एक बहुत ही भाव पूर्ण रचना सतीश सक्सेना जी क...माँ पर एक बहुत ही भाव पूर्ण रचना सतीश सक्सेना जी के ब्लॉग पर आपकी लिखी पढ़ी .मन गदगद स्नेहिल यादों से संसिक्त अब तक है .बधाई .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-67635160928204901532011-05-22T23:17:10.427+05:302011-05-22T23:17:10.427+05:30"नूंवी नूंवी कूंपळ कंवळी
दारु दाख पुराणी लागे..."नूंवी नूंवी कूंपळ कंवळी<br />दारु दाख पुराणी लागे "<br /><br />राजेनदर भाई सा यू तो राजकुमारी मूमल रो रुप को बखान लागे ।डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swamihttps://www.blogger.com/profile/15313541475874234966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-29305754141071615822011-05-16T19:58:17.033+05:302011-05-16T19:58:17.033+05:30ghanemaan raam-raam jighanemaan raam-raam jiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-49744729118937633312011-05-16T14:53:49.257+05:302011-05-16T14:53:49.257+05:30लोक संवेदना में रचा बसा गीत चाहे वह किसी भाषा में ...लोक संवेदना में रचा बसा गीत चाहे वह किसी भाषा में हो मन को मोह लेता है |आपने यह एक उत्कृष्ट कार्य किया है |बहुत बहुत बधाईजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-46325563815547945342011-05-14T16:56:54.800+05:302011-05-14T16:56:54.800+05:30हणसा री बात चिनीक उगर हुवे, पण साची ह |
बात विरोध ...हणसा री बात चिनीक उगर हुवे, पण साची ह |<br />बात विरोध री कोणी, पण <br />विरोध ह इन सोच रो क "हिंदी रे बिन राजस्थानी पंगु ह" |<br />हणसा आ हि कवे ह ईन पंगु सोच ने नाख दयो बेरा माय |Rajasthani Vaatahttps://www.blogger.com/profile/09298188351544415439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6050153967215399517.post-50359786760046799792011-05-12T23:46:04.336+05:302011-05-12T23:46:04.336+05:30भाई साहिब !राजस्थानी लोक संगीत से बेहद लगाव रहा है...भाई साहिब !राजस्थानी लोक संगीत से बेहद लगाव रहा है मेरा भी जयपुर शैली "एक बार आवोजी जम्हाई जी पाहुनो,थारा सास्सू जी बुलावे घर आव जमाई लाड्कना"के लोक गीत हों या बीकानेरी के .आप अच्छा काम कर रहें हैं .आज अपने पुराने ब्लॉग पर गया तो देखा आपकी टिपण्णी आदर पूर्वक मौजूद थी .दर असल मेरे "राम राम भाई "नाम से ही दो ब्लॉग गलती से चल रहें हैं नवीनतम में पोस्ट की संख्या ३००० को छू रही है ,विषय चल रहा है ,मनोरोग और दिमाग की बीमारियाँ (ब्रेन अटेक ).जबकि दूसरे ब्लॉग पर मात्र दस पोस्ट हैं वहीँ शराब सम्बन्धी एक लेख पर आपकी टिपण्णी देखी .<br />आप राजस्थानी के शब्दों के अर्थ भी देन भावार्थ के साथ तो बड़ी बात होगी हमारे जैसे लोक संगीत के दीवानों के लिए ।<br />"चाव चाव में भूल याई फूलआरी साडी ज़रा सी रोक दे बाबूड़ा थाड़ी रेलगाड़ी "बहुत अच्छा लिख रहें हैं आप .बधाई .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com